वरुण बरनवाल महाराष्ट्र के पालघर जिले के एक छोटे से नगर बोइसार के रहने वाले हैं।

वर्तमान में वह राजकोट में नगर पालिका के क्षेत्रीय आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं।

वरुण का हमेशा से बहुत अच्छा अकादमिक रिकॉर्ड रहा है।

लोग उनकी सहायता करने के लिए आगे आते थे, जिन्हें पता चलता था कि वे धन की कमी के कारण अपनी शिक्षा पूरी करने में असमर्थ हैं।

वरुण का दावा है कि उन्होंने कभी भी अपनी शिक्षा पर पैसा खर्च नहीं किया।

पहले वरुण के पिता का एक स्टोर था जो साइकिल फिक्स करता था।

After the death of the father, the puncture shop was taken over.

दसवीं क्लास की परीक्षा खत्म होने के चार दिन बाद ही उनके पिता का निधन हो गया।

वरुण की बहन ट्यूशन पढ़ाया करती थी। दसवीं के बाद ही वरुण ने पढ़ाई छोड़कर, दुकान संभालने का फैसला किया।

उन्होंने पाया कि जब उनके 10 वीं कक्षा के परिणाम घोषित किए गए तो उन्होंने अपने स्कूल में टॉप किया था।

वरुण का दावा है कि उन्होंने ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में बिताए दो साल उनके जीवन के सबसे कठिन थे।

वरुण को अपनी स्कूल फीस का भुगतान करने के लिए हर महीने 650 रुपये भी इकट्ठा करना मुश्किल था क्योंकि स्थिति इतनी खराब थी। फिर उन्होंने teaching tuitions देना शुरू किया।

वे दिन में स्कूल जाया करते थे, फिर इसके बाद ट्यूशन पढ़ाते थे फिर इसके बाद भी दुकान का हिसाब-किताब देखते थे।

इतने सारे संघर्ष के बाबजूद भी वरुण ने कभी भी हार नहीं मानी।

वरुण के घर के आर्थिक हालात बचपन से ही खराब थे। लेकिन फिर भी उनके परिवार ने उनको कभी भी पढ़ने से नहीं रोका।

वरुण बताते हैं की उनकी माँ हमेशा ही उन्हें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया करती थीं। बचपन से ही वह हर कक्षा में अव्वल आते थे।

वरुण हमेशा से डॉक्टर बनना चाहता था, लेकिन पैसे की कमी के कारण उसे इंजीनियरिंग करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

हमेशा की तरह इस बार भी वरुण ने एमआईटी कॉलेज पुणे में भी टॉप किया और स्कॉलरशिप के लिये आवेदन किया।

इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद में वरुण को एक एमएनसी कंपनी में जॉब का ऑफर मिला, लेकिन तब तक वरुण का मन सिविल सर्विसेज में जाने का बन गया था।

वह केवल अपने परिवार के दुख को मिटाने के लिये नहीं बल्कि समाज के दुखों को मिटाने के लिये काम करना चाहते थे।

उन्होंने कभी भी पढ़ाई के लिए किताबे नहीं खरीदी बल्कि उनके दोस्तों ने ही उनकी मदद की और उनको किताबें ला कर दी।

वर्तमान समय में वरुण गुजरात के हिम्मतनगर में असिस्टेंट कलेक्टर के पद पर तैनात हैं। उन्होंने बर्ष 2013 की यूपीएससी की परीक्षा में 32वीं रैंक हासिल की थी।

वर्तमान में वह राजकोट में नगर पालिका के क्षेत्रीय आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं।

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